subodh

subodh

Thursday 25 September 2014

7 . पैसा बोलता है ...

आपने अपने बचपन में अपने माता-पिता को पैसे को लेकर किस स्थिति में देखा है -पैसे के लिए लड़ते-झगड़ते,हमेशा कम पड़ने की शिकायत करते हुए ?  वे पैसे उड़ानेवाले थे या कंजूस ?  क्या उन्होंने पैसे को  सही तरह से संभाला या बर्बाद होने दिया ?  वे निवेश के मामले में कैसे थे -चतुर या हारे हुए ?  वे जोखिम लेने वाले थे या सुरक्षित मानसिकता वाले ?  उनके पास पैसा टिका रहता था या कभी वाह-वाह और कभी आह -आह की स्थिति रहती थी ?  पैसा आपके घर में ख़ुशी लाता था या तनाव ?  वो आसानी से आता था या बड़ी मुश्किलों से ?

ये सारे सवाल बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इन सवालों में आपकी जड़े है . आप जो कुछ भी आज है उनकी  एक वजह इन सवालों का जवाब है , आपने जो कुछ अपने बचपन में या बड़े होते वक्त देखा है - अपने पेरेंट्स ,अपने अभिभावक , रिश्तेदार,पडोसी द्वारा पैसे को लेकर की गई प्रतिक्रिया या पैसे के प्रति किया गया व्यवहार -उन सब ने आप पर कुछ न कुछ प्रभाव डाला है . आप ऐसे ही वो नहीं बन गए है जो आप है बल्कि देखा  हुआ  व्यवहार  आपके अवचेतन मन को लगातार प्रभावित करता रहा है और उसी वजह से आप ऐसे बने है . 

लगातार किसी एक तरह के व्यवहार को देखने पर वो हमारे मनो-मस्तिष्क पर छा जाता है और जब हम बड़े होते है -अपने देखे हुए नायकों  या विलेन  की तरह तो हम भी वैसे ही व्यवहार करने लगते है जैसा हमने होता देखा है .  , ज़िन्दगी में अपने नायकों को या विलेन को जैसे करते देखा है उनकी कॉपी करना ,उनका अनुसरण करना इस तरह की कंडीशनिंग को  जिसे "अनुसरण करना" कहते है .

जैसा की मैंने पहले बताया था पहली तरह की कंडीशनिंग  शाब्दिक होती और दूसरी तरह की कंडीशनिंग अनुसरण करना होती है .
- सुबोध 

No comments:

Post a Comment