subodh

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Tuesday 30 September 2014

25. पैसा बोलता है ...

मैंने लिखा था कि कंडीशनिंग से शक्तिशाली सिर्फ रीकंडिशनिंग होती है !
ज्यादातर लोग ये सोचते है कि उनके बिज़नेस की सफलता उनके ज्ञान, उनकी योग्यताओं पर निर्भर है , मुझे इस बरसों पुरानी कंडीशनिंग के खिलाफ लिखते हुए दुख हो रहा है ,लेकिन ये  सच का बहुत छोटा सा अंश  है .पूरा सच ये है कि आपके व्यवसाय की सफलता आपकी कंडीशनिंग पर निर्भर है आपकी योग्यता ,आपका ज्ञान और आपकी टाइमिंग सिर्फ आपकी कंडीशनिंग को सपोर्ट करने वाले टूल्स है .
अगर आपकी कंडीशनिंग में "अमीरी पाप है" तो आप अपने व्यवसाय में ऐसा कुछ कर देंगे जिससे आपकी कमाई सीमित हो जायेगी और आपको अमीरी नामक पाप से बचा लेगी जबकि आपका कम्पीटीटर अपना बैंक बैलेंस बढ़ाता रहेगा क्योंकि उसकी कंडीशनिंग आपसे अलग है .
अगर आपका पैसे को लेकर ब्लू प्रिंट एक लाख रुपये साल का है और गलती से आपने उस साल डेढ़ लाख कमा लिए है तो ज्यादा कमाए गए पचास हज़ार आपसे सीधे या उलटे तरीके से खर्च करवा दिए जायेंगे और अगर आपने कम कमाए है तो आपको कोई अतिरिक्त कमाई हो जाएगी ,आपकी कंडीशनिंग कभी आपके साथ अन्याय नहीं होने देगी और ये सिलसिला तब तक चलेगा जब तक आप अपनी कंडीशनिंग को नए सिरे से रीकंडिशन नहीं करेंगे.
नई चीज़ बनाना आसान होता है लेकिन बनी हुई चीज़ को जो  गलत बन गई है नए सिरे से बनाना कई गुना मेहनत मांगता है . अगर आपको अपने लिए  घर बनाना है आप एक प्लाट खरीदते है और  आर्किटेक्ट को बुलाकर उससे प्रोपेरली डिसकस करकर ,जो सलाहें ज़रूरी हो करकर काम शुरू करते है और नया घर बना लेते है .
अब इसे अलग तरीके से समझे आपको अपने लिए  घर बनाना है , आप एक बना-बनाया घर खरीदते है और उसे अपने तरीके से नया बनवाते है तो क्या तरीका होगा ? आप आर्किटेक्ट को बुलाकर उससे प्रोपेरली अपनी ज़रूरते डिसकस करेंगे और वो आपको बताएगा कि आपको बने हुए घर का कौन-कौन सा हिस्सा तुड़वाना है और उसे किस तरीके से नया बनाना है !!!
क्या ये दूसरा हिस्सा उतना ही आसान है जितना पहला हिस्सा था ?
मुझे याद है मेरे पड़ोस में रहने वाले कपूर साहब के साथ एक समस्या आई थी .  उनका लड़का JUNIOR K .G . में था. अपने बेटे को  श्रीमती कपूर अल्फाबेट सिखाने लगी- जैसाकि अमूनन हर घर में किया जाता है . यहाँ तक सब ठीक था अल्फाबेट में जब Q सिखाया गया तो श्रीमती कपूर ने बच्चे को Q माने रानी सीखा दिया ( आप गौर करें Q  के साथ अल्फाबेट की बुक  में रानी  की तस्वीर  बनी होती है ) और ये सिलसिला करीबन हफ्ता भर चलता रहा 
P  माने पैरेट, Q  माने रानी,R  माने रेट ,बच्चा दिन भर अल्फाबेट दोहराता रहता माँ उसको लाड करती रहती  . बच्चा भी खुश बच्चे की माँ भी खुश कि मेरा बेटा बड़ी तीव्र बुद्धिवाला है , संडे को मैं और कपूर साहब बाहर बैठे हुए थे ,उनका बेटा भागता दौड़ता  आता और अल्फाबेट दोहराता , अचानक कपूर साहब ने अपने बेटे को बुलाया और कहा "अंकल को अल्फाबेट  सुनाओ" . 
बेटे को जो याद था उसने सुना दिया  P  माने पैरेट Q  माने रानी R  माने रेट.. 
मैंने टोका "'बेटे Q  माने क्वीन "  
"नहीं अंकल Q  माने रानी "
आपको शायद आश्चर्य हो कपूर साहब को अपने बेटे को Q  माने रानी को भुलाने, Q  माने क्वीन समझाने,सिखाने और याद करवाने में तकरीबन चार महीने का वक्त लगा !!!
ये रीकंडिशनिंग का प्रोसेस  है .
एक छोटे बच्चे की कुछ दिनों की गलत कंडीशनिंग जब इतनी भारी पड़ती है ,वयस्क लोगों की कंडीशनिंग तो सालों से हो रही है -मैं ये सोचकर दशतजदा हो जाता हूँ कि इन्हे तो अपनी गलत कंडीशनिंग का पता ही नहीं है और जब इनको पता चल जायेगा उसके बाद इनकी रीकंडिशनिंग में कितना वक्त लगेगा ? 

- सुबोध 

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